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मंगलवार, 6 मार्च 2007

मॆ ऒर मेरे खयाल

नील गगन के छाव पर ,
आए हम उड-उडकर,
पंखुडियों को धीरे से छूकर,
लाए मद-मस्ती भर भर कर,
मॆं ऒर मेरे खयाल.

बादलों से जाकर लड आए,
गिरियों से जाकर टकराए,
हसीन वादियों में खो गए,
हर महफ़िल में जम गए,
मॆं ऒर मेरे खयाल.

लगाए चक्कर वसुन्धरा भर में,
फूलों से रंग चुराके आए,
कोयल से गीत ह्डपके लाए,
ज़िन्दगी में जवानी भरके आए,
मॆं ऒर मेरे खयाल.

ओस बनकर हम मुस्काए,
बन गए दोस्ती के किस्से,
प्रेम की अमर कहानी हो गए,
जवानी से मद-होश हो गए,
मॆं ऒर मेरे खयाल.

सात सुरों में रम गए,
वीणा की तान में जम गए,
नूपुर में थिरक लाए,
आवाज़ में दर्द भर लाए,
मॆं ऒर मेरे खयाल.

सचमुच सच्चे दोस्त हॆं हम,
जुदा कभी भी न होंगे हम,
साथ निभाएंगे हम हरेक दम,
इकट्ठे रहेंगे जनम-जनम,
मॆं ऒर मेरे खयाल.

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