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बुधवार, 12 अगस्त 2009

चन्दा रानी!

ओ चन्दा! तुम तो, ज़रूर बेहद खूबसूरत हो,
दंग रह जाती हूँ, तेरी खूबसूरती देखकर तो।


ये निखरा-निखरा रंग कहाँ से पाई?
अरे, बता ये रहस्य मुझे भी।
तुम्हारे चेहरे पर काला तिल जो है,
इसीलिये नफ़र नहीं लगती तुमपर किसकी।

अरे! कभी बनती तुम तो पूनम प्यारी,
तो बनती कभी नन्ही सी बच्ची प्यारी!
चातेहावी का चाँद भी तुम बन जाती,
तो, कभी अपना ये सुंदर मुख क्यूं छिपती?

चन्दा! तुम तो, ज़रूर बेहद खूबसूरत हो,
दंग रह जाती हूँ, तेरी खूबसूरती देखकर तो

पर मैं तो देखकर तेरी ये खूबसूरती,
मन ही मन, हर रोप जल उठती।
पूछती अपने से, "मैं सुंदर क्यों नही इतनी?"
क्या तुम्हे दूसरों की नज़र का डर नहीं?

चन्दा! तुम तो, ज़रूर बेहद खूबसूरत हो,
दंग रह जाती हूँ, तेरी खूबसूरती देखकर तो

आरी चन्दा, तू बन जा मेरी सहेली,
मुझे बना ले हिस्सेदार, तेरी खूबसूरती की।
क्या तेरी सुन्दरता कम हो जाएगी,
देकर मुझे अपनी सुन्दरता थोडी?

चन्दा! तुम तो, ज़रूर बेहद खूबसूरत हो,
दंग रह जाती हूँ, तेरी खूबसूरती देखकर तो


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